एक कलि दो पत्तियाँ

Album : Main Aur Mera Saya

Translated By: Gulzar

एक कलि दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उँगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कलि दो पत्तियाँ
रतनपुर बागीचे में

खुल के खिलखिलाती
सावन बरसाती
हँस रही हैं कौन ये
मोगरे जगाती, मोगरे जगाती
एक कलि दो पत्तियाँ…

जुगनू और लक्ष्मी की
लगन ऐसी आई
डाली डाली झूमी
ले के अंगड़ाई, हो ले के अंगड़ाई
एक कलि दो पत्तियाँ…

जुगनू और लक्ष्मी की
प्रीत रंग लाई
नन्हें से एक मुन्ने से
झुमकी जगमगाई, हो झुमकी जगमगाई
एक कलि दो पत्तियाँ…

एक कलि दो पत्तियाँ
खिलने भी न पाई थी
तोड़ने उस बागीचे में
दानव आया रे, हो दानव आया
दानव की परछाई में
काँप रही थी पत्तियाँ
बुझने लगी मासूम कलि
दानव की परछाई में, दानव की परछाई में

साए से बेदार हुए,
तामबरन सी बाहों के
ढोल मादल बजने लगी
मादल ऐसे बाजे रे
लाखों मिल के नाचे रे
आया एक तूफ़ान नया
दानव डर के भाग गया
मादल ऐसे गरजा रे
दानव डर के भागा रे
एक कलि दो पत्तियाँ…

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